धनु राशि – प्रकृति एंव स्वभाव

इसका स्वामी गुरू है। धनुराशि का जातक सात्विक प्रवृति वाला, लिखने वाला , भाषण देने मे पारंगत होता है।
यह परिश्रमी ,क्रोध करने वाला , कंजुस प्रवृति का , अभिमानी प्रवृति का तथा प्रतिभाशाली होता है ।

इनसे जो व्यक्ति जैसा व्यवहार करता है ये भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करते है अर्थात जैसे को तैसा वाली प्रवृति होती है ।
ये साहसी एवं बहादुर होते है । सत्य को प्रेम करने वाले तथा अच्छे गुणो वाले होते है ।

तथा प्रेम और ओर शान्ति को बढ़ाने वाले होते है। यह सबके प्रति हमदर्दी का भाव रखते है।
दुसरों के मन में क्या चल रहा है भांप जाते है । ये व्यवहार कुशल होते है विरोधी की बातों का इनके ऊपर प्रभाव नहीं पड़ता है

ये समाज सेवा करते है तथा प्रत्येक व्यक्ति को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते है ।
लोगो में जो अच्छे गुण दिखते है उसकी भी तारीफ हमेशा करते रहते है । ये समपन्नता से प्रेम करने वाले होते है तथा सुन्दर स्त्रियों का चाहत रखने वाले होते है ।

ये दूसरो के आदेश का पालन करने से पूर्व अपने हितो का ध्यान रखते है तथा दुसरों को आदेश देने में कुशल होते है ।
ये माता का आदर करने वाले , उदार हृदय के तथा दान देने वाले होते है ये अभिनय कला तथा शिल्प कला में प्रतिभा वाले होते है ।
ये सदैव आशावादी तथा दार्शनिक विचारों को रखने वाले होते है जीवन में कठोर सिद्धान्तों को अपनाते है किसी फलते-फुलते संसाधन एवं परिवार को नष्ट करने की खतरनाक प्रवृति होती है ।

कभी-कभी आवेश में आकर कोई गलत कार्य कर देते है फिर बाद में पछताते है ।
ये स्वतंत्र विचारधारा के समर्थक तथा स्वतंत्रता से अपने विचार व्यक्त करने वाले होते है । ये धार्मिक एवं नीति पर चलने वाले होते है । बहस करने में इनसे कोई जीत नहीं सकता है ।

ये कठोर परिश्रम करके प्रसिद्धि प्राप्त करते है । ये अनुशासन तथा कठोर नियंत्रण के पक्ष में रहते है ये किसी अपराधी को शीघ्र क्षमा नहीं करते है । ये दिखावा ज्यादा पसन्द करते है ।
इनके विचार प्राय: बदलते रहते है परन्तु जो बात कह देते है उसे अवश्य निभाते है ।
इनका स्वभाव शरारती तथा हंसमुख होता है । स्वादिष्ट भोजन और चटपटी चीज़े खाने के शौकीन होते है ।
परन्तु दिनचर्या में यह अनियमित होते है अर्थात समय पर खाना-पीना तथा सोना यह नहीं करते है ।
इन्हें बदहजमी , कब्ज़ आदि पेट समबन्धी समस्याए रहती है ।

• धनु राशि के व्यक्ति अपने जीवन को सुखी,समृद्ध तथा शांत बनाने के लिए

1. धार्मिक स्थानों में घी ,दही ,कपुर तथा आलु का दान करे ।
2. घर आए भिखारी को दान दे निराश ना लौटावे ।
3. गंगा जल पीये व उससे स्नान करे ।

4. स्वयं तीर्थयात्रा करे तथा तीर्थयात्रा के लिए दूसरो की मदद करे ।
5. पीला रूमाल हमेशा पास रखे।
6. पीले फील पौधे लगाए।

7. झुठी गवाही न दे ।
8. गुरूवार का व्रत करे ।
9. बहते पानी में तांबे का सिक्का प्रवाहित करे ।

10. पिता के पलंग व कपड़ो का प्रयोग करे ।
11. कोई भी कार्य करने से पहले नाक साफ करे ।
12. आभुषणो का धारण करे ।
सदा सत्य बोले और धार्मिकता का पालन करे । ब्राह्मण , साधु एवं गुरू की सेवा करे ।

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