मकर (CAPRICORN) राशि – प्रकृति एंव स्वभाव

मकर राशि का स्वामी शनि है । जातक आध्यात्मिक विचारों वाला ,दार्शनिक प्रवृति का ,एकान्त में रहने वाला , प्रेम समबन्ध में स्त्री की सलाह अधिक मानने वाला ,

कर्म को मुख्य मानने वाला, अत्यन्त विद्दतापूर्ण रूचि वाला , अपरम्परागत संगीत ओर अनुशासन को महत्व देने वाला,दानशील प्रवृति वाला, ज्यादा मित्रो वाला, बोलने में अच्छा तथा सुख के लिए निरन्तर सोचते वाला होता है ।

यह सामान्यतया अपने परिवार से आदर प्राप्त नहीं करता है तथा इनमे शीघ्रता से मनोग्रन्थि विकसित होती है परन्तु परिवार के किसी व्यक्ति को कष्ट हो तो इनके मन में निरन्तर चिन्ता बनी रहती है

अर्थात ये परिवार के प्रति स्नेह रखने वाले होते है।

सुन्दर स्त्रियो से आदर पाने वाला, स्त्रियो से अच्छा व्यवहार करते है तथा उनसे बातचीत करने मे दक्ष होते है

इस कारण कभी-कभी वैवाहिक जीवन मे कुछ उथल-पुथल होती है किन्तु अपनी विवेकशीलता से यह स्थित को संभाल लेते है।

सार्वजनिक कार्यो में ये जोश के साथ के लगते है। ये जिस कार्य को करते है उससे पुरी रूचि एवं लगन से कार्य करते है ।

किस व्यक्ति से किस ढंग से बात करनी है या किस व्यक्ति से कैसे कार्य करवाना है इस बात को ये अच्छी तरह जानते है।

चापलुसो को पहचानने की इनमें विशेष क्षमता होती है । प्रेम के मामलो मे ये उदार प्रवृति के होते है ये भोग की प्राप्ति होने पर ही संतुष्ट रहते है इनमे घैर्य एवं दृढ़ता होती है।

ये अत्यन्त व्यवहारिक मार्ग से धनी होने वाले होते है ।

इनकी दानशील प्रवृति होती है तथा दयालु हृदय के होते है तथा सदा अपनी प्रसन्नता के लिए चिंतित रहने वाले होते है।

ये महत्वकांक्षी होते है ये आत्मकल्याण की ओर विशेष झुकाव होता है तथा कठिन से कठिन परिस्थिति आने पर भी ये धैर्य नहीं छोडते है ।

ये किसी भी बात का निर्णय गम्भीरता तथा काफी सोच विचार कर लेते है तथा मन में सोची गई कामनाएं धीरज के साथ पुरी कर लेते है।

ये विवादास्पद विषयों में ज्यादा दिलचस्पी रखते है इस कारण परिवार में तथा मित्रों आदि से कभी-कभी मतभेद हो जाते है इनकी धन संग्रह में विशेष रूचि होती है

इनमें खर्च करने की प्रवृति व कंजुसी दोनो गुण होते है साथ ही मेहनत करना व आलस्य दोनो प्रकार के गुण होते है ।

मकर राशि के व्यक्तियों को अपना जीवन सुखी-समृद्ध व शांत बनाये रखने के लिए

लाल-किताब में बताये गए निम्न उपाय करने चाहिए
बांसुरी में चीनी भरकर सुनसान जगह में गाड़े ।
मिट्टी के पात्र में शहद भरकर निर्जन स्थान में दबाएं।

अखरोट धर्म स्थान में चढ़ावे ओर थोड़ा बहुत घर मे लाकर रखे।
नदी में शराब प्रवाहित करे ।
भैसो, कौओ और मजदुरो को भोजन दे ।
कुएं मे दूध डाले ।

शराब नही पीए।
परायी स्त्री पर नजर न डाले ।
दूध मे चीनी मिलाकर बरगद के वृक्ष में डाले।
गीली मिट्टी से तिलक करे ।
बन्दरो का सेवा करे ।
सर्प को दुध पिलाने के लिए सपेरे को पैसा दे।
असत्य नहीं बोले,घर के किसी हिससे को अंधेरा न रखे,पूर्व दिशा वाले मकान मे निवास करे, हमेशा आसपास स्वर्ण या केसर रखे , 48 वर्ष से पहले घर न बनवाए।

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