ग्रह अस्त हो तो जीवन का कौन सा क्षेत्र होता हैं प्रभावित

जब कोई भी ग्रह सूर्य देव के प्रभाव क्षेत्र में आ जाये,यानि एक ही भाव में सूर्य और उपस्थित ग्रह की अंशो में निकटता ग्रह को अस्त अवस्था में कर देती हैं इस कारण शुभ स्थिति में उपस्थित ग्रह सूर्य के अति निकट होने से तेज हीन होकर शुभता प्रदान नहीं कर पाते पर वहीं त्रिक भावो के स्वामी हो कर कोई ग्रह सूर्य से युक्ति बना कर अस्त होता हैं तो जहाँ खराब और विपरीत परिस्थितिया उत्पन्न हो सकती हैं वह रुक जाती हैं कम हो जाती हैं उस ग्रह के अस्त होनें के कारण

ग्रह कब होते हैं अस्त
जब कोई भी ग्रह सूर्य की युक्ति के साथ किसी भी भाव में विराजमान हैं और सूर्य से निमन अंशो की दुरी पर हैं वह ग्रह तो व्हास्ट हैं जैसे चन्द्रमा सूर्य से 12 अंश की दूरी पर हैं या मंगल 7 अंश की दूरी पर, बुध 13 अंश की दूरी पर, गुरु 11 अंश पर, शुक्र 9 अंश पर और शनि 15 अंश पर हैं तो ये ग्रह अस्त हैं

मंगल अस्त होनें पर पराक्रम में कमी आती हैं व्यक्ति हीन भावना से जल्दी ग्रसित होता हैं विवादित धन सम्पदा ख़ासकर ज़मीन सम्बंधित उलझाव में फसा रहता हैं शारीरिक कमजोरी से परेशान रहता हैं स्वभाव में झगड़ालू प्रवर्ती आने से मान सम्मान में भी कमी आती हैं

गुरु – अगर गुरु सूर्य से अस्त हो जाए तो ब्यक्ति को अपने मान सम्मान के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ता हैं
कार्य मुश्किल से संम्पन होते हैं चारित्रिक अपशय का सामना करना पड़ सकता हैं

शुक्र- जीवन में सुख सुविधाओं की कमी बानी रहती हैं
लोगो से प्रशंसा या सराहना मिलना बहुत कठिन हो जाता हैं व्यक्तित्व में आकर्षण की कमी रहती हैं
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शनि अथक परिश्रम करना पड़ जाता हैं आर्थिक उन्नति में संघर्ष बना रहता है काम में अधिकारी वर्ग तक खुद को पहुंचना या उन से सम्बन्ध अच्छे रखना कठिन हों जाता हैं कोई भी कार्य शुरू में अत्याधिक अडचन आ जाती हैं

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