त्रिग्रही योग में मनाई जाएगी मकर संक्रांति
इस दिन सूर्य देव, बुद्ध और शनि ग्रह के साथ, मकर मे होगे विराजमान
पौष मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि शुक्रवार के दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में
14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर प्रवेश करेंगे
इस पुण्य काल की अवधी के 16 घटी पहले और 16 घटी बाद तक पूजन और दान श्रेष्ट रहता है।
इसी कारण १४ जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाना उत्तम है
मकर संक्रांति का ये पर्व, ज्योतिषीय परिवेश मे सूर्य और शनि ग्रहो से सम्बन्धित ग्रह दोषों और पितृ दोष के प्रभावो से मुक्त करता है।
आज गंगा जल या मिश्रित जल से स्नान कर पूजन और दान करना चाहिए।
आज प्रातः काल ताम्र पात्र मे, जल पुष्प-अक्षत और रोली डला कर भगवान सूर्य को अर्ग दे, सूर्य मंत्रो का जाप करते हुए, ५ या ७ बार अपने ही स्थान पर परिक्रमा करे। और घर पर ही आदित्य हृदय स्रोत का पाठ कर विष्णु-पूजन के साथ पूजन संपन्न करे।
आज के दिन गायत्री अनुष्ठान से भी लाभ होता है व जीवन मे आ रहे विघ्न खत्म होते है।
इस मकर संक्रांति मे पुण्य काल सुबह 07:15 से आरम्भ होगा, जिसमे गुड़ व अनाज और घी का दान करना चाहिए । 08:40 से 10 बजे सुबह और दुपहर 1:30 से 03:00 तक स्थिर लग्न प्राप्त होगी जिसमे जाप दान और अनुष्ठान करना श्रेष्ट रहेगा।
मकर संक्राती को सूर्य देव उत्तरायन होते ही, दिन बड़े और रात्रि छोटी होती जाति है। जिस से नकारात्मकत ऊर्जा ख़त्म होती है और सकारात्मकत ऊर्जा का प्रवहा बढ़ता है। जिससे बीमारियों और रोगो की संभावनाओं मे कमी आती है।
मकर शनि देव की अपनी राशि है। जहा स्वयं शनिदेव विराजमान है। वही पूरे माह अब सूर्य देव विराजमान रहेंगे।
सूर्य पुत्र शनि देव के घर मे स्वयं पिता सूर्य प्रवेश कर इस संक्राती को श्रेष्ट बनता है।
मकर संक्रांति पर आवश्यक दान
मकर संक्रांति पर दान आव्यश्य करे।
तिल दान से प्रसन्न होते है शनि देव
गुड़ दान से सूर्य देव होते है प्रसन्न
तेल दान से आर्थिक हानि और कष्टों मे आती है कमी
पांच तरह के अनाज दान से स्वास्थ्य लाभ और सम्पन्नता आती है।
घी दान से जीवन मे सकारात्माता आती है और वृद्धि के योग फलीभूत होते है।
नमक दान से शत्रु प्रास्त होते है।